काविश-ए-ना-मो'तबर को मो'तबर करने लगे लोग अपनी ज़ात के अंदर सफ़र करने लगे वालिहाना तर्ज़ आशुफ़्ता-सरी के बावजूद मेरी वहशत पर नज़र शोरीदा-सर करने लगे रौशनी इतनी कि आँखों में अंधेरा छा गया इर्तिक़ा ऐसा कि फ़ाक़ों पर बसर करने लगे इक ज़रा जिस ने शुऊर-ए-ज़िंदगी पाया कि बस हादसात-ए-ग़म उसे ज़ेर-ओ-ज़बर करने लगे हम ज़मीं को भी 'ज़िया' महसूर कर सकते नहीं जब कि आज इंसाँ ख़लाओं में सफ़र करने लगे