खटक ने दिल की दिया ज़ख़्म-ए-बे-निशाँ का पता न उस दहन में फ़ुग़ाँ थी न था ज़बाँ का पता सर-ए-नियाज़ झुकाने की ख़ू तो पैदा कर जबीन-ए-शौक़ लगा लेगी आस्ताँ का पता सितम दबा न सका आप के शहीदों को जफ़ा मिटा न सकी ख़ून-ए-बे-कसाँ का पता रग-ए-बुरीदा पुकारेगी नाम क़ातिल का कफ़न बताएगा उस तेग़-ए-ख़ूँ-चकाँ का पता इसी क़दर तो है सरमाया-ए-तजस्सुस-ए-अक़्ल कि कुछ ज़मीं की ख़बर है कुछ आसमाँ का पता दिल-ए-तपाँ था कहीं चश्म-ए-ख़ूँ-फिशाँ थी कहीं क़दम क़दम पे मिला कूचा-ए-बुताँ का पता असीर-ए-दाम-ए-मोहब्बत से पूछिए 'बेताब' कमंद तुर्रा-ए-मुशकीन-ए-दिलसिताँ का पता