ख़ुद अपने आप को ज़ंजीर करता रहता है वो मेरे ख़्वाब की ता'बीर करता रहता है अजब नहीं कि उसे मेरी आरज़ू ही न हो कि अब वो आने में ताख़ीर करता रहता है नए मकान की वुसअ'त न उस को रास आई वो अब भी ज़ेहन में तस्वीर करता रहता है क़लम उठाने की तहरीक भी उसी ने दी और अब वही है कि ता'ज़ीर करता रहता है उयूब अपने छुपाओगे किस तरह 'बिस्मिल' वो रोज़ नामचा तहरीर करता रहता है