ख़ौफ़ दिल में ज़रा नहीं करते ज़िंदगी से वफ़ा नहीं करते ज़िंदगी का हिसाब देना है क्यों इबादत किया नहीं करते सुन ही लेगा ख़ुदा-ए-इज़्ज़-ओ-जल क्यों तड़प कर दुआ नहीं करते आज़माइश हुई है हर साअ'त ज़िक्र-ए-रब क्यों किया नहीं करते सुन ली या देख ली ख़ता जिस की तज़्किरा जा-ब-जा नहीं करते क्यों किसी की ख़ता पे हँसते हो क्या कभी तुम ख़ता नहीं करते दूसरों की है नुक्ता-चीनी 'शरार' फ़र्ज़ अपना अदा नहीं करते