ख़ुशी में यूँ इज़ाफ़ा कर लिया है बहुत सा ग़म इकट्ठा कर लिया है हमें हम से बचाने कौन आता सो अब ख़ुद से किनारा कर लिया है मिरी तन्हाई का आलम तो देखो ज़माने भर को यकजा कर लिया है तुझे जाने की जल्दी थी सो ख़ुद से तिरे हिस्से का शिकवा कर लिया है नहीं माँगेंगे तुझ को अब दुआ में ख़ुदा से हम ने झगड़ा कर लिया है तरसते हैं जिसे मिलने की ख़ातिर उसी को अपनी दुनिया कर लिया है वो क्या है इश्क़ हम ने अब की जानाँ तकल्लुफ़ में ज़ियादा कर लिया है अँधेरों में तो रखते ही थे ख़ुद को उजालों में भी तन्हा कर लिया है खुले पिंजरे में भी जिस को है वहशत ये दिल ऐसा परिंदा कर लिया है