ख़्वाब रंगों से बनी है याद ताज़ा धूप लिख लाई मुबारक याद ताज़ा फिर बहा ले जाएगा लावा लहू का संग-दिल पर घर की रख बुनियाद ताज़ा आब-ए-ताज़ा ख़ंजर-ए-ख़ामोश को दे है बुरीदा-लब पे इक फ़रियाद ताज़ा बे-सुतूनी फिर उठाए संग सर है चाहती है जू-ए-ख़ूँ फ़रहाद ताज़ा बे-चराग़ाँ बस्तियों को ज़िंदगी दे इक सितम ऐसा भी कर ईजाद ताज़ा आसमाँ सर पर भी क्या क़ाएम नहीं है कुछ तो कह ऐ उक़्दा-ए-उफ़्ताद ताज़ा ऐसी संगीं चुप कि दिल फटने लगा है कुछ तो ऐ शो'ला-नवा इरशाद ताज़ा