ख़याल अपना उधर लगा के पड़ा हूँ अब दिल को डर लगा के वो आप रू-पोश हो गया है हमारे ज़िम्मे सफ़र लगा के कलाम हम से करेगा लेकिन अगर लगा के मगर लगा के किसी के बारे में सोचता है किसी के सीने से सर लगा के हुए हैं सपने 'अज़ीज़ जब से उड़ी मिरी नींद पर लगा के 'मुनीर' रुख़ पर शिकस्त-ए-दिल की मैं फिर रहा हूँ ख़बर लगा के