खेल उस ने दिखा के जादू के मेरी सोचों के क़ाफ़िले लूटे या तो धड़कन ही बंद हो जाए या ये ख़ामोशी-ए-फ़ज़ा टूटे तुम जहाँ भी हो मेरे दिल में हो तुम मिरे पास थे तो हर-सू थे नग़्मा-ए-गुल की बास आती है तार किस ने हिलाए ख़ुश्बू के उस को लाएँ तो एक बात भी है वर्ना सब दोस्त आश्ना झूटे नख़्ल-ए-उम्मीद सब्ज़ है 'अमजद' लाख झक्कड़ चला किए लू के