खेत ऐसे सैराब नहीं होते भाई अश्कों के सैलाब नहीं होते भाई हम जैसों की नींद थकावट होती है हम जैसों के ख़्वाब नहीं होते भाई ज़िंदा लोग ही डूब सकेंगे आँखों में मरे हुए ग़र्क़ाब नहीं होते भाई अब सूरज की सारी दुनिया दुश्मन है अब चेहरे महताब नहीं होते भाई इन झीलों में परियाँ रोज़ उतरती हैं आँखों में तालाब नहीं होते भाई सोचें हैं जो दौड़ दौड़ के थकती हैं थके हुए आ'साब नहीं होते भाई