ख़ूब फ़रमाया कि अपना प्यार रहने दीजिए

ख़ूब फ़रमाया कि अपना प्यार रहने दीजिए
आप ही ये ग़म्ज़ा-ओ-इंकार रहने दीजिए

चाँदनी बरसात की निखरी है चलती है 'नसीम'
आज तो लिल्लाह ये इंकार रहने दीजिए

चश्म-ए-बद-दूर आप की नज़रें हैं ख़ुद मौज-ए-शराब
बस मुझे बे-मय पिए सरशार रहने दीजिए

कीजिए अपनी निगाह-ए-फ़ित्ना-अफ़ज़ा का 'इलाज
नर्गिस-ए-बीमार को बीमार रहने दीजिए

छोड़ने का मैं नहीं अब आप को ऐ जान-ए-जाँ
है अगर मुझ पर ख़ुदा की मार रहने दीजिए

हम-किनार उस बहर-ए-ख़ूबी से न होंगे 'अकबर' आप
ऐसे मंसूबे समुंदर-पार रहने दीजिए


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