ख़ुदा की हस्ती को याद रखना और अपनी हस्ती को भूल जाना नज़र उसी पर है और बातों को मैं ने बिल्कुल फ़ुज़ूल जाना जुनूँ हम ऐसों को क्या त'अज्जुब बहार का है समाँ ही ऐसा सबा का अठखेलियों से चलना ख़ुशी से कलियों का फूल जाना जहान-ए-फ़ानी की अंजुमन में यही तसलसुल हमेशा देखा उमीद के साथ शाद आना उठा के सदमे मलूल जना