ख़ुद अपनी प्यास से तुम इंतिक़ाम मत लेना किसी भी शख़्स के हाथों से जाम मत लेना यक़ीं न हो तो जुदा हो के देख लो हम से हमारी याद न आए तो नाम मत लेना गुज़ार देना ग़रीबी में ज़िंदगी लेकिन अमीर-ए-शहर के दामन को थाम मत लेना ज़माने भर को मोहब्बत से जीत जाओगे मगर कभी भी अदावत से काम मत लेना मिले अगर जो कभी रास्ता बदल लेना ग़रज़-परस्त का हरगिज़ सलाम मत लेना ये लत बुरी है मियाँ आप अपने हाथों में कहा है मेरे बुज़ुर्गों ने जाम मत लेना कोई किसी का नहीं दौर-ए-बेवफ़ाई में किसी से अपनी मोहब्बत का दाम मत लेना