ख़ुदी गुम कर चुका हूँ अब ख़ुशी-ओ-ग़म से क्या मतलब त'अल्लुक़ होश से छोड़ा तो अब 'आलम से क्या मतलब क़नाअ'त जिस को है वो रिज़्क़-ए-मा-यहताज पर ख़ुश है समझ जिस को है उस को बहस-ए-बेश-ओ-कम से क्या मतलब जिसे मरना न हो वो हश्र तक की फ़िक्र में उलझे बदलती है अगर दुनिया तो बदले हम से क्या मतलब मिरी फ़ितरत में मस्ती है हक़ीक़त-बीं है दिल मेरा मुझे साक़ी की क्या हाजत है जाम-ओ-जम से क्या मतलब ख़ुद अपनी रीश में उलझे हुए हैं हज़रत-ए-वा'इज़ भला उन को बुतों के गेसू-ए-पुर-ख़म से क्या मतलब नई ता'लीम को क्या वास्ता है आदमिय्यत से जनाब-ए-डार्विन को हज़रत-ए-आदम से क्या मतलब सदा-ए-सरमदी से मस्त रहता हूँ सदा 'अकबर' मुझे नग़्मों की क्या पर्वा मुझे सरगम से क्या मतलब