ख़ुदा ने जिन के मआ'नी नहीं बताए हैं वो हर्फ़ ज़ेहन में अपनी जगह बनाए हैं सितारे शम्स-ओ-क़मर आँख रौशनी रस्ता हम ऐसी ने'मतें पा के भी लड़खड़ाए हैं किसे ख़रीदें किसे छोड़ दें ये मुश्किल है हमारे ख़्वाब हर इक शय में झिलमिलाए हैं कभी-कभार अगर मैं ज़बाँ पे आया है हम अपनी ज़ात से किस दर्जा ख़ौफ़ खाए हैं जो अपने आप पे क़ाबू कभी न रख पाए अब उन के हाथ में सब इख़्तियार आए हैं हर एक जिंस से रखता है राब्ता अपना बशर ने अपने कई सिलसिले बनाए हैं जब एक मौन दिलों में उतर गया 'पारस' तो हम ने रब की इबादत में सर झुकाए हैं