कोई हँस रहा है कोई रो रहा है By Ghazal << क्या जुर्म है ये हाल तो ज... ख़ुदी गुम कर चुका हूँ अब ... >> कोई हँस रहा है कोई रो रहा है कोई पा रहा है कोई खो रहा है कोई ताक में है किसी को है ग़फ़्लत कोई जागता है कोई सो रहा है कहीं ना-उमीदी ने बिजली गिराई कोई बीज उम्मीद के बो रहा है इसी सोच में मैं तो रहता हूँ 'अकबर' ये क्या हो रहा है ये क्यों हो रहा है Share on: