ख़ुशबू है ज़ाफ़रान की ऐवान-ए-शहर आज हस्ती कोई ज़रूर है मेहमान-ए-शहर आज टकराएँ जाम-ओ-मीना ओ फिंजान-ए-शहर आज पीरान-ए-पीर है कोई रिंदान-ए-शहर आज सब चौक पर हैं जम्अ' हसीनों की टोलियाँ है बीच में फ़राज़ मिरी जान-ए-शहर आज अब दिल हमारे आज से उस के असीर हैं हाकिम से तय हुआ है ये तावान-ए-शहर आज कहते हैं हुस्न-ए-यूसुफ़-ए-कनआन-ए-मिस्र से बेहोश कुछ हुई हैं हसीनान-ए-शहर आज सब तालियाँ बजाएँ तो हो ख़त्म ये ग़ज़ल 'सफ़वत' के साथ मिल के जवानान-ए-शहर आज