मिरी निगाह में इदराक के सिवा क्या है ख़ुदाए-ए-वहदहू लौलाक के सिवा क्या है ये नार-ओ-तीन की तकरार ना समझ इबलीस ये आग मुँह में तिरे ख़ाक के सिवा क्या है बहिश्त होगी कभी जब कभी तो होगी ज़मीं इस एक मरकज़-ए-अफ़्लाक के सिवा क्या है हक़ीर है ये जहाँ वुसअत-ए-ख़याल अदक़ वजूद बस ख़स-ओ-ख़ाशाक के सिवा क्या है निडर नहीं हूँ जो कहने पे नफ़्स के कहता यहाँ ये 'सफ़वत'-ए-बेबाक के सिवा क्या है