ख़ुश्क आँखों को तर किया जाए बारिशों में सफ़र किया जाए तुम मिलो तो किसी बहाने से ज़िंदगी को बसर किया जाए थाम ली जाए ख़्वाब की ज़ंजीर रात को बे-सहर किया जाए याद करना तुझे भुला देना बस यही उम्र-भर किया जाए बे-ख़बर है जो इक ज़माने से क्यों उसे बा-ख़बर किया जाए इतनी तन्हाई है उदासी है याद तुझ को अगर किया जाए