ख़ुसूसी लुत्फ़-फ़रमाई न छोड़ी उन आँखों ने मसीहाई न छोड़ी रहीं पाबंदियाँ जब तक ज़बाँ पर ख़मोशी ने भी गोयाई न छोड़ी हुए पैराहन-ए-गुल चाक-दर-चाक सबा ने नाज़-फ़रमाई न छोड़ी हमें भी आरज़ू-ए-नेक-नामी हवा-ए-कू-ए-रुसवाई न छोड़ी उसी से चश्म-ओ-दिल की ज़िंदगी थी मताअ'-ए-ना-शकेबाई न छोड़ी हज़ारों रंज-ओ-ग़म हैं फिर भी दिल ने तिरे ग़म की पज़ीराई न छोड़ी ख़िरद ने लाख समझाया डराया जुनूँ ने हश्र-आराई न छोड़ी हवादिस से गुज़रने पर भी 'मंशा' ग़ज़ल ने शान-ए-रानाई न छोड़ी