ख़्वाहिश-ए-दिल जो डाल-डाल रहे उस के हिस्से में बस ज़वाल रहे पँख फैलाए क़ैद में पर-दार चार-सू बेबसी का जाल रहे आग सीने में आरज़ू की हो जब वक़्त-ए-आख़िर तलक उबाल रहे आशिक़ी तेरे नाम की है दुआ तू सलामत यूँ माह-ओ-साल रहे मुझ से तेरी न हो वफ़ा मक़्सूद पर हो इतना कि हम-ख़याल रहे इस तमन्ना पे हो ख़ुदा का करम मेरा चेहरा ख़ुशी से लाल रहे बस ये 'रौनक़' दुआ करे रब से एक ही ढंग एक चाल रहे