कि जिस में मोहब्बत ज़रूरी नहीं है मुझे वो इबादत ज़रूरी नहीं है मैं बे-इंतिहा चाहता हूँ उसी को करे वो मोहब्बत ज़रूरी नहीं है मुझे तू ही तू याद आता रहे बस ज़ियादा इनायत ज़रूरी नहीं है उसे देख कर ही मेरा काम चलता मुझे अब इबादत ज़रूरी नहीं है मोहब्बत से ही जान लेता है अक्सर किसी से अदावत ज़रूरी नहीं है समझना ख़ुदी को पड़ेगा सभी कुछ वो दे कुछ हिदायत ज़रूरी नहीं है मुझे हर क़दम पर है उस की ज़रूरत हो उस को ज़रूरत ज़रूरी नहीं है दिलों पे करे 'राज' वो शाह ऐसा कहीं हो रियासत ज़रूरी नहीं है