किरची किरची हो जाते हैं अक्सर मेरे ख़्वाब मुझ से पहले सो जाते हैं अक्सर मेरे ख़्वाब ज़ेहन को बंजर कर देती है सोच की सीम और थूर वहशत दिल में बो जाते हैं अक्सर मेरे ख़्वाब बंद आँखों से देखूँ कब तक मैं तेरी तस्वीर याद में तेरी खो जाते हैं अक्सर मेरे ख़्वाब धीरे धीरे मर जाती है जब भी एक उमंग आ कर मुझ पर रो जाते हैं अक्सर मेरे ख़्वाब 'नाज़' किसी को देख के जूँही धड़के मेरा दिल आगे पीछे हो जाते हैं अक्सर मेरे ख़्वाब