किस दुख के हैं मारे लोग हम जैसे दुखियारे लोग जाने क्या कुछ सहरा सहरा ढूँढते हैं बंजारे लोग सर-ब-गरेबाँ हैं उल्फ़त में मेह्र-ओ-वफ़ा के मारे लोग दाग़-ए-जुदाई दे के सिधारे कैसे कैसे प्यारे लोग लौट के अब तक क्यों नहीं आए जाने वाले सारे लोग दौलत-ओ-सर्वत काम न आई चल दिए हाथ पसारे लोग