मैं जवाब उन को क्या दूँ जो सवाल पूछते हैं मुझे कर के ख़ुद परेशाँ मिरा हाल पूछते हैं कोई ऐसा सर-फिरा है कोई ऐसा मुब्तला है मिरी आशिक़ी की दे कर वो मिसाल पूछते हैं किसी इक सवाल का भी न जवाब दे सकेंगे सर-ए-बज़्म हर किसी से जो सवाल पूछते हैं तिरा ज़ौक़-ए-आशिक़ाना हुआ कब जवाँ बताना वो ब-सद-नियाज़-मंदी सिन-ओ-साल पूछते हैं नहीं सब के पूछने की कोई बात इस में 'हसरत' जो रफ़ीक़ हैं वो अक्सर मिरा हाल पूछते हैं