किसी का ध्यान मह-ए-नीम-माह में आया सफ़र की रात थी और ख़्वाब राह में आया तुलू-ए-साअत-ए-शब-ख़ूँ है और मेरा दिल किसी सितारा-ए-बद की निगाह में आया मह ओ सितारा से दिल की तरफ़ चला वो जवाँ अदू की क़ैद से अपनी सिपाह में आया जिहाद-ए-ग़म में कोई सुस्त ज़र्ब मेरी तरह गिरफ़्त-ए-मैसरा-ए-अश्क-ओ-आह में आया सितारे डूब गए और वो सितारा-गर थकन से चूर ज़मीं की पनाह में आया चराग़ है मिरी रातों का एक ख़्वाब-ए-विसाल जो कोई पल तिरी चश्म-ए-सियाह में आया दुखी दिलों की सलामी क़ुबूल करते हुए नज़र झुकाए कोई ख़ानक़ाह में आया