किसी के बारे में दिन-रात सोचना क्या है जो इश्क़ करना है कर डालो मसअला क्या है किसे पता है मोहब्बत की इंतिहा क्या है ग़म-ए-हयात से ख़ुशियों का राब्ता क्या है मैं मुतमइन हूँ जो ख़ुद से तो फिर बुरा क्या है किसी भी शख़्स से मेरा मुक़ाबला क्या है जो अपनी ज़ात से वाक़िफ़ न हो सका अब तक उसे जहाँ के मुतअल्लिक़ अभी पता क्या है जो ख़ुद-नुमाई का तालिब हो उस से क्या मिलना उसे हयात के बारे में तज्रबा क्या है ज़रा सी देर ख़ला में तवाफ़ करने दो ज़रा पता तो चले उस का दायरा क्या है यक़ीन करना ही होगा मुझे मुक़द्दर पर वगर्ना इस के सिवा और रास्ता क्या है ख़ुद अपने आप से लगने लगा है डर मुझ को कोई बताए तो आख़िर मुझे हुआ क्या है ये तर्जुमा ही है 'अगयात' मेरे जीवन का ये शायरी मिरे एहसास के सिवा क्या है