किसी की आँख में पानी नहीं है मगर लोगों को हैरानी नहीं है फ़ना होना है सब को इक न इक दिन यहाँ पर कोई ला-फ़ानी नहीं है बचाता है बला से कौन मुझ को अगर तेरी निगहबानी नहीं है ख़ुदा को छोड़ कर औरों से माँगूँ कोई इतना बड़ा दानी नहीं है अभी दिल में तसव्वुर है तुम्हारा अभी इस घर में वीरानी नहीं है