सितम करने वाले सितम कर रहे हैं हम अहल-ए-करम हैं करम कर रहे हैं सितमगर की आँखों को नम कर रहे हैं जो मुश्किल था वो काम हम कर रहे हैं ख़ुदा उन को रहमत से कैसे नवाज़े जो सर अपना हर दर पे ख़म कर रहे हैं बहुत याद आते हैं माज़ी के झोंके वही मेरी आँखों को नम कर रहे हैं ज़रूर इस में है मस्लहत कोई वर्ना वो क्यों मुझ पे इतना करम कर रहे हैं उजाला है महफ़िल में जिन की बदौलत उन्हें आप महफ़िल से कम कर रहे हैं निगाहों में उस का तसव्वुर भी रखिए अगर आप सर अपना ख़म कर रहे हैं