किसी की दूरी का एहसास क्यूँ दिलाती है अजब है चाँदनी मुझ को बहुत सताती है मैं इस ख़याल से तन्हा सफ़र पे निकला हूँ कभी तो राह भी ख़ुद रास्ता दिखाती है किसी का लहजा कोई बात छोटी सादा सी कभी कभी तो बहुत दर्द दे के जाती है मैं तेरे ख़्वाब लिए रात भर टहलता हूँ मुझे बता कि तुझे कैसे नींद आती है तुम अपने आगे किसी और को न समझो कुछ कोई किताब ये तहज़ीब कब सिखाती है अना की ज़िद पे हुए जब कभी सवार 'असलम' किसी की बात कहाँ कब समझ में आती है