किसी की सर्द-मेहरी का समुंदर पार करना है कठिन है रास्ता लेकिन उसे हमवार करना है ख़ता इक एक उन की दरगुज़र करते रहेंगे हम हर इक क़ीमत पे हम ने उन को ज़ेर-ए-बार करना है हम अपने जी पे जितना हो सकेगा जब्र कर लेंगे किसी की ज़िंदगी को किस लिए दुश्वार करना है हँसी दे कर किसी को उस के सारे ग़म ख़रीदेंगे ख़सारा है मगर हम को यही ब्योपार करना है भले हम उन के दिल की बात ही उन से कही लेकिन उन्हें तन्क़ीद करना है उन्हें तकरार करना है