किसी नज़र के सवाली बने हुए हैं हम सुख़न के बाग़ में माली बने हुए हैं हम कई असीर गले से लगा के रोते हैं किसी मज़ार की जाली बने हुए हैं हम किसी के काम तो आएँ कोई जलाए हमें सो ख़ुश्क पेड़ की डाली बने हुए हैं हम हमारा जीना अज़िय्यत नहीं है ता'ना है ख़ुद अपने वास्ते गाली बने हुए हैं हम खटक रहे हैं किसी आँख में 'हसन' हम लोग किसी के कान की बाली बने हुए हैं हम