किसी राहबर की है जुस्तुजू किसी रहनुमा की तलाश है जो शरीक-ए-मौज-ए-हयात हो उसी नाख़ुदा की तलाश है न रुख़-ए-सनम की है आरज़ू न दर-ए-ख़ुदा की तलाश है जो शुऊ'र-ए-कर्ब अता करे उसी दिलरुबा की तलाश है मैं जहाँ रुकूँ मैं जहाँ रहूँ तिरा ग़म रहे मिरा हम-सफ़र यही मुद्दआ' मिरी ज़िंदगी इसी मुद्दआ' की तलाश है बढ़ी जब भी यास की तीरगी हुईं गुम निगाह की मंज़िलें रह-ए-ज़िंदगी जो दिखा सके मुझे उस ज़िया की तलाश है ये सुकूत-ए-लब ये ख़मोशियाँ मिरी काविशों का सिला नहीं जो दिलों को सोज़-ए-हयात दे उसी हम-नवा की तलाश है न हरम में मुझ को सुकूँ मिला न सनम-कदे ही में राहतें जहाँ ज़िंदगी को यक़ीं मिले मुझे ऐसी जा की तलाश है ये न जाने कैसे हैं पेशवा सर-ए-राह डूबे गुनाह में जो छुपा ले उन के उयूब सब उन्हें उस क़बा की तलाश है