ज़िक्र-ए-ग़म पर मलाल क्यों आया शीशा-ए-दिल में बाल क्यों आया मुतमइन हूँ मैं हालत-ए-दिल पर तुम्हें मेरा ख़याल क्यों आया गिर के नफ़रत की खाई में ख़ुद ही पूछते हो ज़वाल क्यों आया रात आँधी थी उस की आँखों में सुब्ह का एहतिमाल क्यों आया ज़ख़्म-ए-दिल ही मिरा असासा है तू मुझे यूँ सँभाल क्यों आया मैं तो ज़िंदा रहा उसूलों पर एहतिमाल-ए-मआल क्यों आया आप जब बे-क़ुसूर थे 'नाशाद' दोस्ती का सवाल क्यों आया