किसी से राब्ता कोई नहीं है मुझे क्या जानता कोई नहीं है किसे आवाज़ दूँ किस को पुकारूँ यहाँ तो दूसरा कोई नहीं है मिरी बातें ही ला-यानी हैं गोया कि मेरी मानता कोई नहीं है ब-ज़ाहिर दूर हैं इक दूसरे से दिलों में फ़ासला कोई नहीं है मैं अपने हाल में जैसा हूँ ख़ुश हूँ किसी का आसरा कोई नहीं है उदासी का सबब क्या पूछते हो उदासी मसअला कोई नहीं है बस इक अपने सिवा दुनिया में 'नादिर' सब अच्छे हैं बुरा कोई नहीं है