कितने भी ग़म-ज़दा हों मगर मुस्कुराएँगे By Ghazal << हज़ार ज़ख़्म मिले फिर भी ... बस अदब की इसी दस्तार से प... >> कितने भी ग़म-ज़दा हों मगर मुस्कुराएँगे वा'दा जो कर लिया है कि आँसू न आएँगे वो हैं वहाँ जहाँ से पलटना मुहाल है फिर भी ये लग रहा है कि वो लौट आएँगे कितने दिनों के बा'द हमें नींद आई है आहिस्ता बात कीजिए हम जाग जाएँगे Share on: