कितने रंगीन हैं अन्फ़ास के आहंग तिरे फूल तक दंग हुए देख के सब रंग तिरे ज़ख़्म देने का मुझे सौदा हुआ है तुझ को दिल के टुकड़े हैं कि फिर हाथ में हैं संग तिरे इश्क़ में तुझ सा कोई और कहाँ से लाऊँ अजब अंदाज़ तिरे तौर तिरे ढंग तिरे ऐसा लगता है कि दरिया की मिटाते हैं प्यास जाप करते हुए वो होंट लब-ए-गंग तिरे मुस्कुराता है ब-सद-नाज़ तू दिल ही दिल में हम सा करता है कोई नाम पे जब जंग तिरे