कितनी दिलकश हयात होती है जब कहीं दिल की बात होती है ग़म की तारीकियों में रौशन-तर उन के वा'दे की रात होती है किस ने अपना मआल देखा है ज़िंदगी बे-सबात होती है जो अना के असीर होते हैं उन का महवर तो ज़ात होती है वुसअ'त-ए-क़ल्ब की बिसात न पूछ इस में इक काएनात होती है लम्हा लम्हा सुकूँ नहीं होता जब अदावत की बात होती है है यक़ीं बा'द ज़िंदगी के कहीं ग़म से 'सादिक़' नजात होती है