किया है कब कोई शिकवा हक़ीक़तन मैं ने By Ghazal << राज़ अश्कों का छुपाऊँ तो ... किसी ने एक जफ़ा-ए-करम-नुम... >> किया है कब कोई शिकवा हक़ीक़तन मैं ने सलाम कर दिया साक़ी को आदतन मैं ने निगाह मिलते ही शुक्राना बन गया हर लफ़्ज़ शुरूअ' बात तो की थी शिकायतन मैं नै ग़ज़ब ख़ुदा का वो कहते हैं बे-ज़बाँ मुझ को दिया जवाब न जिन का मुरव्वतन मैं ने Share on: