कोई गिला न कोई शिकायत करेंगे हम ज़ालिम तिरे ख़िलाफ़ बग़ावत करेंगे हम ऐ रहबरना-ए-क़ौम हमें छोड़ जाओ तुम ख़ुद अपने क़ाफ़िले की क़यादत करेंगे हम जाओ तुम्हारी कोई ज़रूरत नहीं है अब उर्दू ज़बाँ की ख़ुद ही हिफ़ाज़त करेंगे हम औक़ाफ़ की ज़मीं के मुहाफ़िज़ भी कह उठे मौक़ा मिला है इस में ख़यानत करेंगे हम हक़ माँगने के वास्ते ऐवान जाएँगे अपनी सुनें तो फिर न शरारत करेंगे हम क़ातिल हमें भी क़त्ल करे तो करे मगर मज़लूम की ज़रूर हिमायत करेंगे हम अंजाम कुछ भी होने दो पर्वा नहीं है अब ज़ालिम की ऐ 'ज़िया' न इताअ'त करेंगे हम