कोई ताज़ा ग़ज़ल सुनी है अभी दिल में इक टीस सी उठी है अभी तेज़ बारिश में नेक बंदों की कोई दीवार थी गिरी है अभी इस तरह है उदास मेरी गली जैसे बेवा कोई हुई है अभी सिर्फ़ मेरा ही घर था बोसीदा बर्क़ इस पर ही बस गिरी है अभी बाद की कुछ ख़बर नहीं हमदम ज़िंदगी मुझ को ढूँढती है अभी ठंडा झोंका हवा का आया है क्या सबा मुझ को ढूँढती है अभी वक़्त अच्छा कभी न आएगा रहज़नी राह में खड़ी है अभी मौत आँखें बिछाए बैठी है ज़िंदगी मुझ से कह गई है अभी मेरी मंज़िल तो आएगी 'राही' जुस्तुजू में शगुफ़्तगी है अभी