कुछ रोज़ से मैं भी बहुत आसूदगी के साथ हूँ अब कोई मेरे साथ है या मैं किसी के साथ हूँ पैवस्त है मेरे लहू में ज़ाहिर-ओ-बातिन की ज़ौ आज़ुर्दगी के साथ हूँ जब से ख़ुशी के साथ हूँ इक बोझ है अब मेरे सीने पर मिरी मौजूदगी मैं साथ हूँ अपने मगर इक बे-रुख़ी के साथ हूँ क्या सोच कर मैं ने क़दम रक्खा था दश्त-ए-नज्द में क्यूँ ग़ैब से उतरी हुई आवारगी के साथ हूँ मैं साथ हूँ उस के बहर-सूरत तुलू-ए-मेहर तक संजीदगी के साथ हूँ या दिल-लगी के साथ हूँ कहता नहीं सुनता नहीं हँसता नहीं रोता नहीं मैं भी अज़ल से आज तक कैसे ग़बी के साथ हूँ इक मौज में बढ़ता चला जाता हूँ मंज़िल की तरफ़ या'नी फ़ना की राह पर मैं भी सभी के साथ हूँ कुछ ख़ौफ़ खाने की ज़रूरत है न लाज़िम एहतियात मैं लश्करी हूँ आप का और आप ही के साथ हूँ मुद्दत हुई है ख़ुद-फ़रेबी के ज़माने को लदे अब जो मिरा हो कर रहेगा मैं उसी के साथ हूँ 'साजिद' अभी तक क़र्ज़ है मुझ पर मिरी पहचान का शामिल किसी के रंग में अपनी कमी के साथ हूँ