तुम्हारा दिल तो हमारे सुभाव जैसा है हटा के चेहरे से चेहरा दिखाओ जैसा है वो चूकता ही नहीं जिस पे दाव जैसा है हमें ख़बर है वहाँ रख-रखाव जैसा है मुझे धकेल कर उस का ज़मीर जाग उठा अब उस का हाल भी तूफ़ाँ में नाव जैसा है तो क्या वो दस्त-ए-मशिय्यत का शाहकार नहीं पुराना यार है यारो निभाओ जैसा है सुनहरे ख़्वाब दिखाए न आप ही देखे हमारा यार हमारे सुभाव जैसा है उभर रही हैं नए ख़ून में नई क़द्रें ख़ुलूस में भी घुमाओ फिराव जैसा है ये और बात कि दम दे रहा हो सोज़-ए-दरूँ बुझा हुआ वो ब-ज़ाहिर अलाव जैसा है खुलेगा ख़ुद वो किसी रोज़ मिस्ल-ए-बंद-ए-क़बा न छुप सकेगा लहू में रचाव जैसा है वो उस का हाल-ए-ज़बूँ उस पे ख़ंदा-ए-बे-बाक हसीं समाज के चेहरे पे घाव जैसा है है अपनी पीठ का हर ज़ख़्म आइना 'ग़ौसी' मिरे रफ़ीक़ों को मुझ से लगाव जैसा है