कुछ साथ दिया मेरा दवा ने न दुआ ने By Ghazal << ख़ता अंजाम हो कर रह गया ह... आ तुझ को ख़याल में बसाऊँ >> कुछ साथ दिया मेरा दवा ने न दुआ ने अब जाएँ कहाँ ढूँडने जीने के बहाने फ़रहाद भी वाक़िफ़ नहीं अब कोह-कनी से बे-कार हैं फ़र्सूदा मोहब्बत के फ़साने इस दीदा-ए-पुर-नम में है रक़्साँ तिरा परतव महताब लुटाता है समुंदर पे ख़ज़ाने Share on: