कुछ देर तक तो मुझ को निहारा चला गया कल सुब्ह मेरी आँख का तारा चला गया वो ख़ुश हुआ कि उस को ख़सारा नहीं हुआ मैं रो रहा था मेरा सहारा चला गया वो गुफ़्तुगू के वास्ते आया था बाम पर मैं चुप रहा तो उठ के सितारा चला गया करना था इंतिख़ाब मरासिम में इश्क़ में मैं ने सिरा बचाया किनारा चला गया वो पूछते हैं कब ख़ुदा आया है फ़र्श पर हम ने कहा कि तुम को उतारा चला गया हम रो रहे हैं उस को जिसे कोई ग़म नहीं उस को तो कुछ नहीं था हमारा चला गया 'अमृत' तुम्हें भी दुनिया बरी लगने लग गई कोई तो इस जहाँ से तुम्हारा चला गया