कुछ लुत्फ़ मज़ा मज्लिस में नहीं ऐ दोस्त तू शामिल जिस में नहीं जो बात है तेरी आँखों में वो बात गुल-ए-नर्गिस में नहीं तिरे शहर को देख के दिल बोला ये सुंदरता पैरिस में नहीं तिरे पैरों से उठ कर जाए कहीं ये हौसला इस मुफ़्लिस में नहीं वो पत्थर दिल क्या पिघलेगा लौ इश्क़ जुनूँ की जिस में नहीं अब ख़ुद को दिलासे देता हूँ फ़ुक़्दान-ए-वफ़ा किस किस में नहीं वो 'ज़ेब' हसीन बला की है पर रहम ज़रा बेहिस में नहीं