कुछ तो बोल ऐ 'सदा' हुआ क्या है दिल जो थामा है माजरा क्या है बुत हैं रूठे ख़ुम-ओ-सुबू छुटे अब ख़ुदा को तू ढूँढता क्या है दिल ये टूटा है सौ दफ़ा यारो हादिसा आज कुछ नया क्या है एक ही दर से जब मिले सब कुछ हाथ फैलाता जा-ब-जा क्या है दिल तो पत्थर से सख़्त है तेरा फिर ये चेहरा गुलाब सा क्या है इक नज़र ख़ाकसार पर भी हो जाता कुछ भी जनाब का क्या है शे'र कहता है ख़ूब तू वर्ना तेरी औक़ात ऐ 'सदा' क्या है