क्या बला सेहर हैं सजन के नयन है ख़जिल जिस अंगे हिरन के नयन मुझ पे करते हैं यार का जादू उस सितमगार-ए-सेहर-ए-फ़न के नयन गर्दिश-ए-मय सूँ आज फ़ारिग़ है जिन ने देखे हैं ख़ुश-नयन के नयन आरज़ू में तिरी ऐ नूर-ए-नज़र मुंतज़िर हूँ खुले हैं मन के नयन शोर डाले हैं सारे आलम में दिलबर-ए-शक्करीं-सुख़न के नयन गुल-ए-नर्गिस अगर नहीं देखा देख यकबार गुल-बदन के नयन क्यूँ न हुए हिज्र बे-ख़बर सूँ 'सिराज' होश खोते हैं मन हिरन के नैन