क्या बताएँ आप से क्या हस्ती-ए-इंसान है आदमी जज़्बात-ओ-एहसासात का तूफ़ान है इश्तिराकिय्यत मिरा दीन और मिरा ईमान है काश मोटर ले सकूँ मैं ये मिरा अरमान है आह इस दानिश-कदे में किस क़दर है क़हत-ए-हुस्न जब से आया हूँ यहाँ बज़्म-ए-नज़र वीरान है ये किताबें हर तरफ़ हों या बुतान-ए-मुंतख़ब बरगुज़ीदा हस्तियों का एक ही अरमान है फ़िक्र की दुनिया में कोलंबस बना फिरता हूँ मैं इल्म की पहनाई का कितना बड़ा फ़ैज़ान है आज अमरीका में कल लंदन में परसों रूस में आदमी की सर-बुलंदी की यही पहचान है इस क़दर खाए हैं यारों के बिछड़ जाने के दाग़ दिल नहीं अब एक ख़ाकिस्तर-शुदा शमशान है जैसे जैसे बढ़ रहा है मेरा ओहदा दोस्तों वैसे वैसे रूह मेरी और भी वीरान है लड़खड़ाता ठोकरें खाता किधर जाता हूँ मैं है अँधेरा घुप फ़ज़ा और दिल-ए-सुनसान है