क्या जाने तू ने कौन सी बेदाद आज की जो दिल ने जा-ब-जा तिरी फ़रियाद आज की रहना मुदाम वस्ल तो मालूम पर मियाँ सोहबत रहेगी मुझ को बहुत याद आज की लो सच कहो बुलाते हो क्यों मुझ को हर घड़ी ताज़ा कोई जफ़ा मगर ईजाद आज की दिल को तो कल ही फूँक चुका था वो शो'ला-ख़ू हाँ राख कुछ पड़ी थी सो बर्बाद आज की इक दम में दाम-ए-ज़ुल्फ़ से पकड़ा ये मुर्ग़-ए-दिल फुरती तो तू ने और ही सय्याद आज की मिस्मार फिर तो कल ही करेगा नवाह-ए-दिल कुछ फ़ाएदा नहीं है जो बुनियाद आज की गाली दी मुझ को प्यार से मैं शाद हो गया ये ज़ोर चीज़ आप ने इमदाद आज की क्या क्या ख़याल दिल में गुज़रते हैं है ग़ज़ब क्यों तू ने देर क़त्ल में जल्लाद आज की जिस बात का क़लक़ मुझे इक उम्र था रहा 'अफ़सोस' तू ने फिर वही इरशाद आज की