क्या कह गई किसी की नज़र कुछ न पूछिए क्या कुछ हुआ है दिल पे असर कुछ न पूछिए वो देखना किसी का कनखियों से बार बार वो बार बार उस का असर कुछ न पूछिए रो रो के किस तरह से कटी रात क्या कहें मर मर के कैसे की है सहर कुछ न पूछिए 'अख़्तर' दयार-ए-हुस्न में पहुँचे हैं मर के हम क्यूँ-कर हुआ है तय ये सफ़र कुछ न पूछिए